Monday, May 18, 2020

श्री शिव चालीसा

                            श्री शिव चालीसा
                 जय गणेश गिरीजा सुवन, मंगल मूल सुजान !
                 कहत अयोध्यादास तुम, देउ अभय वरदान !!
                       जय गिरिजापती दिनदयाला !
                       सदा करत सन्तन प्रतापला !!
                       भाल चंद्रमा सोहत नीके !
                      कानन कुंडल नागफणी के !!

     
अंग गौर सिर गंग बहाये !
मुंडमाल तन क्षार लगाये !!
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहै !
     छवी को देखी नाग मुनि मोहै !!
मैना मातु की हवै दुलारी !
वाम अंग सोहत छवी न्यारी !!
कर त्रिशूल सोहत छवी भारी 
करत सदा शत्रून क्षयकारी !!


नंदि गणेश सोहैं तहं कैसे !
सागर मध्य कमल हैं जैसे !!
कार्तिक श्याम और गणराऊ !
या छवी को कही जात न काऊ !!
देवन जबहीं जाय पुकारा!
तबहीं दुःख प्रभू आप निवारा !!
कियो उपद्रव तारक भारी !
देवन सब मिली तुमहीं जुहारी !!

तुरत षडांन आप पठायउ !
लव निमेष मह मारी गिरायउ !!
आप जलंधर असुर संहार !
सुयश तुम्हार विदित संसारा !!
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई !
सबहीं कृपा करी लिन बचाई !!
किया तपहीं भगीरथ भारी !
पुरव प्रतिज्ञा तासु पुरारी !!
दानिन महं तुम सम कोई नाहीं !
सेवक स्तुती करत सदाहीं !!
वेद माही महिमा तब गाई !
अकथ अनादी भेद नहीं पाई !
प्रकटी उदधि मंथन ते ज्वाला !
जरत सुरासुर भए विहाला !!
कीन्ह दया तहं करी सहाई !
नीलकंठ तव नाम कहाई !!
  
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा !
जीत के लंक विभीषण दिन्हा !!
सहस कमल में हो रहे धारी !
कीन्ह परीक्षा तबहीं पुरारी !!
एक कमल प्रभू राखेउ गोई !
कमल नैन पूजन चहं सोई !!
कठीन भक्ती देखी प्रभू शंकर !
भये प्रसन्न दिये इच्छित वर !!
जय जय जय अंनत अविनाशी !
करत कृपा सबके घटवासी !!
दुष्ट सकल नित मोही सतावै !
भ्रमत रहौ मोही चैन न आवै !!
त्राही त्राही मैं नाथ पुकारौ !
यहि अवसर मोहि आन उबारौ !!
ले त्रिशूल शत्रून को मारो !
संकट ते मोहि आन उबारो !!

मात -पिता भ्राता सब होई !
संकट में पुछत नहीं कोई !!
स्वामी एक हैं आस तुम्हारी !
आय हरहू मम संकट भारी !!
धन निर्धन को देत सदाहीं !
जो कोई जांचे सो फल पाहीं!!
अस्तुति केही विधी करौ तुम्हारी !
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी !!
शंकर को संकट के नाशन !
विध्न विनाशन मंगल कारण !!
योगी यती मुनि ध्यान लागावे !
नारद सारद शीश नवावें !!
नमो नमो जय नमः शिवाय !
सूर ब्राह्मदिक पार न पाय !!
जो यह पाठ करे मन लाई !
ता पर होत हैं शम्भू सहाई !!

ऋनिया जो कोई हो अधिकारी !
पाठ करें सो पावनहारी !!
पुत्र होन कर इच्छा कोई !
निश्चय शिव प्रसाद तेही होई !!
पंडित त्रयोदशी को लावै !
ध्यान पूर्वक होम करावै !!
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा !
तन नहीं ताके रहै कलेशा !!
धूप दीप नैवेघ चढावै !
शंकर सम्मुख पाठ सुनावै !!
जन्म जन्म के पाप नसावै !
अंत धाम शिवपूर में पावै !!
कहत अयोध्या आस तुम्हारी !
जानि सकल दुःख हरहू हमारी !!

नित्य नेम कर प्रात हीं पाठ करो चालीसा !
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदिस !!



                SRV

Friday, May 15, 2020

श्री शनीदेवजी की आरती

                       जय शनी देव 
 जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !
 सुरज के पुत्र प्रभू छाया महतारी !!
                     !! जय जय....... !!
श्याम अंक वक्र दृष्टी चतुर्भुजा धारी !
निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी !!
                            !!जय जय...... !!
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी !
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी !!
                          !! जय जय........ !!
मोदक मिष्ठान पान चढत हैं सुपारी !
लोहा तील तेल उडद महिषी अति प्यारी !!
                              !!जय जय........ !!
देव दनुज ऋषि मुनि सुरत नर नारी !
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी !!
                          !!जय जय......... !!
                                   



                                                 SRV




                                    

Tuesday, May 12, 2020

आरती महालक्ष्मीची

                       !!   जय महालक्ष्मी   !!
      जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी !बाससी व्यापकरूपे तू स्थूलसूक्ष्मी !!ध्रु !!
करवीरपुरवासिनी सुरवरमुनिमाता !पुरहरवरदायिनी मुरहरप्रियकांता !!कमलाकारे जठरीं जन्मविला धाता !सहत्रवदनी भूधर न पुरे गुण गाता !!1!!
मातुलिंग गदा खेटक रवीकिरणी !झळके हटकवटी पीयूषरसपाणी !!
माणिकरसना सुरगावसना मुगनयनी !शशिधरवंदना राजस मदनाची जननी
!!2!!
तारा शक्ती अगम्या शिवभाजकां गौरी !!सांख्या म्हणती प्रकुती निर्गुण निर्धारी !!गायत्री निजबीजा निगमागम सारी !प्रगट पद्मावती निजधर्माचारी !!3!!
अमुतभरितें सरिते अघदुरितें वारी !मारी दुर्घट आसुर भव दुस्तर तारी !!वारी मायापटल प्रणमत परिवारी !हे रूप चिद्रूप तद्रुप दावी निर्धारी !!4!!
चतुरानने कुश्चितकर्माच्या ओळी !लिहिल्या असतील माते माझे निज भाळी !!पुसोनि चरणातळी पदसुमने क्षाळी !!मुक्तेस्वर नागर क्षीरसागर बाळी !!जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी !!5!!


                   





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Monday, May 11, 2020

भोई समाज (Bhoi samaj)

                                 जय भोई राज
                                 जय भोई समाज

         विमुक्त भटक्या प्रवर्गातील सर्वच समाज अत्यतं गरीब असून मागासलेले आहेत. त्यांच्या विकासाकरिता सर्व समाजाचे संघटन असाणे आवश्यक आहे. संघटने द्वारे शासन दरबारी न्याय मिळू शकतो. आपल्या ह्या विमुक्त भटक्या प्रवर्गाचे एक संघ संघटन नसल्यामुळे स्वातंत्र्य नंतर सुद्धा आपण आहोत तसेच आहोत  समाज संघटन, समाज विकासची चळवळ ही अतिशय अभिमान स्पद बाब आहे. संघटनेने कुठल्याही दबावाला बळी पडू न देता असेच कार्य चालू ठेवावे जेणे करून भोई समाजातील गरीब उपेक्षित समाज बांधवांचा विकास होईल
            आपला भोई समाज हा व्यवसाया करिता गावा गावात भटकत असल्याने शिक्षणाकडे अजूनही कल कमी दिसून येतो. त्यामुळे saसमाजाला सरकारी नौकरीत पाहिजे त्या प्रमाणात संधी मिळालेली नाही. तसेच समाजाचा पाहिजे तसा शैक्षणिक व आर्थिक विकास झालेला नाही. भोई समाजाचा सर्वागीण विकास साध्य करण्याच्या दृष्टीने वाटचाल करावी.
              उच्चं शिक्षणा बाबतचे मार्ग दर्शन केंद्र सुरु करणे, मच्छी व्यवसाय करणाऱ्या समाज बांधवांचे संघटन करून त्यांना अत्याधुनिक तंत्रज्ञाना बाबतचे मार्ग दर्शन करणे, सुशिक्षित बेरोजगारांना रोजगार मिळवून देण्याचे दृष्टीने कार्यशाळा घेणे तसेच मार्ग दर्शन केंद्र स्थापन करणे आणि सुशिक्षित बेरोजगाराच्या सोसायट्या स्थापन करून त्यांना रोजगार मिळवून देणे, समाजातील तथा संघटनेच्या सभासदांच्या अडीअडचणी सोडविणे, ह्रास होणारी तलाव व धरणे मच्छी व्यवसायाकरिता फक्त भोई समाज बांधवाना मिळवून देणे, भोई समाजातील शेतकरी बंधूना शेती बाबत व जोड व्यवसाया बाबतचे आधुनिक तंत्रज्ञान देण्याबाबत मार्ग दर्शन पर कार्य शाळा आयोजित करणे, वधू वर परिचय मेळावा, सामूहिक विवाह सोहळा गुणवंत विध्यार्थीचा सत्कार वरिष्ठ लोकांचे सत्कार दरवर्षी आयोजित करणे,





               



    SRV 

Saturday, May 9, 2020

श्री हनुमानजी की आरती

                                जय श्री राम


आरती कीजै हनुमान लाल की, दुष्टलन रधुनाथ kala की !
जाके बल से गिरीवर कांपै, रोग दोष जाके निकटन न झंकै !
अंजनीपुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभू सदा सहाई !
दे बिरा रधुनाथ पठाये, लंका जारी सिया सुधी लाये !
लंका सो कोट समुद्र सी खाई, जात पावनसुत बार न लाई !
लंका जारी असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे !
लक्षण मूच्छिरत पडे सकारे, आनी सजीवन प्रान उबारे !
पैठी पताल तोरी जामकारे, आहिरावन की भुजा उखारे !
बाये भुजा असुर दल मारे, दहिने भुजा संतजन तारे !
सूर नर मुनि आरती उतारे, जै जै जै हनुमान उचारे !
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई !
जो हनुमानजी की आरती गावै, बसी बैकुंठ परमपद पावै !
लंक  विध्वंस कीन्ह रघुराई, तुलसीदास प्रभू किरती गाई !


                                                          SRV

              

Wednesday, May 6, 2020

श्री हनुमान चालीसा

                                        श्री

   श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुरू सुधारी !
    बरनउं राधुबन बिमल जसू, जो डायकु फल चारी !!
     बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरै पवन कुमार !
       बाल बुद्धी विधा देहु मोहीं, हरहू कलेश विकार !!
        
          जय हनुमान ज्ञान गुन सागर !
          जय कपीस तीहूं लोक उजागर !!
          रामदूत अतुलित बल धामा !!
          महावीर विक्रम बजरंगी !
          कुमति निवार सुमति के संगी !!
          कंचन बरन विराज सुवेसा !
          कानन कुंडल कुंचित केसा !!
          हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै !
          कांधे मूंज जनेऊ साजै !!
          शंकर सुवन केसरी नन्दन !
          तेज प्रताप महा जगबन्दन !!
          विधावान गुनी अति चातुर !
          राम काज करिबे को आतुर !!
          प्रभू चरित्र सुनिबे को रसिया !
          राम लखन सीता मन बसिया !!
          सूक्ष्म रूप धरी सियहीं दिखावा !
          विकट रूप धरी. लंक जरावा !!
        
         भीम रूप धरि असूर संहारे !
         रामचंद्र के काज संवारे !!
         लाय संजीवनी लखन जियाये !
         श्री रघुबीर हारषि उर लाये !!
         रघुपति कींहिं बहुत बडाई !
         तुम मम प्रिय भारतही सम भाई !!
         सहस बदन तुम्हारो यश गावै !
        अस कही श्रीपती कंठ लगावै !!
        सनकादिक ब्रह्यादी मुनीसा !
        नारद सारद सहित अहिसा !!
        जम कुबेर दिकपाल जहां ते !
        कवी कोविद कही सके कहां ते !!
        तुम उपकार सुग्रीवहिं कींहा !
       राम मिलाय राजपद दिन्हा !!
       तुम्हारो मंत्र विभीषन माना !
       लंकेश्वर भये सब जग जाना !!
जुग साहस्त्र योजन पर भानू !
लिल्यो ताहि मधुर फल जानू !!
प्रभू मुद्रिका मेली मुख माहिं !
जलधि लांघी गए आचरज नाहिं !!
दुर्गम काज जगत के जेते !
सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते !!
राम दुआरे तुम रखवारे !
होत न आज्ञा बिनु पैसारे !!
सब सुख लहै तुम्हारी सरना!
तुम रक्षक काहु कोदारणा डरना !!
आपन तेज सम्हारो आपै !
तींनो लोक हांक ते कांपै !!
भूत पिशाच निकट नहिं आवै !
महावीर जब नाम सुनावै !!
नासै रोग हरै सब पिरा !
जपत निंरंतर हनुमंत बिरा !!


संकट ते हनुमान छुडावै !
मन क्रम वाचन ध्यान जो लावै !!
सब पर राम तपस्वी राजा !
तिनके काज सकल तुम साजा !!
और मनोरथ जो कोई लावै !
सोई अमित जीवन फल पावै !!
चारो जुग परताप तुम्हारो !
है प्रसिद्ध जगत उजियारा !!
साधू संत के तुम रखवारे !
असुर निकंदन raराम दुलारे !!
अष्ट सिद्धी नव निधी के दाता !
अस वर दिन जानकी माता !!
राम रसायन तुम्हरे पासा !
सदा रहो रघुपति के दासा !!
तुम्हरे भजन राम के पावै !
जनम जनम के दुख बिसरावै !!


अंतकाळ राघूबरपूर जाई !
जहा जन्म हरि भक्त कहाई !!
और देवता चिंत न धरई !
हनुमान सई सर्व सुख करई !!
संकट कतै मितै सब पिरा !
जो सुमिरै हनुमान बलबीरा !!
जय जय जय हनुमान गोसाई !
कृपा करहू गुरुदेव की नाई !!
जो शत बार पाठ कर कोई !
छुटही बंदी महासुख होई !!
जो यह पधै हनुमान चालीसा !
होय सिद्धी साखी गौरीसा !!
तुलसीदास सदा हरि चेरा !
कीजै नाथ हृदय महं डेरा !!

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूर्ती रूप !
रामलाखन सीता सहित, हृदय बसहु सूर भूप !!





                                  SRV




   

Tuesday, May 5, 2020

श्री गणेशजी की आरती

                                   श्री 
           जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा !
             माता जाकी पार्वती, पिता महादेव !!
            
             एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी !
             माथे पे सिन्दूर सोहे, मुसे की सवारी !!

             अंधन को आंख देत, कोढीन को काया !
             बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया !



                    
                     
हार चडै, फुल चडै,  और चडै मेवा!
      लड्डूअन का भोग लागे, संत करें सेवा !!

    दिनन की लाज राखो, शम्भू सुतवारी !
    कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी !!


                  SRV



Monday, May 4, 2020

श्री गणेश चालीसा

      जय जय जय वंदन भुवन, नंदन गौरी गणेश !
       दुख द्वंद्वात फंदन हरन, सुंदर सुवन महेश !!
              जयति शँभू सुत गौरी नंदन !
              विध्न हरन नासन भव फंदन !!
              जय गणनायक जनसुख दायक !
              विश्व विनायक बुद्धी विनायक !

 
एक रदन गज बदन विराजत !
वक्तंतुंड शुचि शुंड सुसाजत !!
तिलक त्रिपुण्ड भाल शशी सोहत !
छबि लखी सूर नर मुनि मन मोहत !!
उर मणिमाल सरोरुह लोचन !
रत्न मुकुट सिर सोच विमोचन !!
कर कुठार शुचि सुभग अत्रिशुलम!
मोदक भोग सुगंधित फुलम !!



सुंदर पितांबर तन साजित !
चरण पादुका मुनि मन राजित !!
धनी शिव सुवन भुवन सुख दाता !
गौरी ललन षडानन भ्राता !!
ऋद्धि सिद्धी तव चंवर सुढारहिं!
मूषक वाहन सोहित द्वारहीं !!
तव महिमा को बरनै पारा !
जन्म चरित्र विचित्र तुम्हारा !!



एक असुर शिवरूप बनावै !
गैरिहीं छलन हेतु तहं आवै !!
एहि कारण ते श्री शिव प्यारी !
निज तन मैल मूर्ती रचि दारी !!
सो निज सुत करी गृह रखवारे !
द्वारपाल सम तेहिं बैठारे !!
जबहिं स्वयं श्री शिव तहं आए !
बिनु पाहीचान जान नहीं पाए !!


पुछयो शिव हो किनके लाला !
बोलत भे तुम वाचन रसाला !!
मैं हुं गैरी सुत सुनि लीजै !
आगे पग न भवन हित दीजै !!
आवहिं मातु बुझी तब जाओ !
बालक से जनि बात बढिओ !!
चलन चाहयो शिव बचन न मान्यो !
तब है क्रुद्ध युद्ध तुम ठान्यो !!
तत्क्षण नहीं कछु शंभू बिचारयो !
गही त्रिशूल भूल वश मारयो !!
शिरीष फुल सम सिर कटी गयाउ !
छंट उडी लोप गगन महं भयाउ !!
गयो शंभू जब भवन मंझारी !
जहं बैठी गिरीराज कुमारी !!
पूछे शिव निज मन मुसाकाये !
कहहूसती सुत कहं ते जाये !!

 खुलीगे भेद कथा सुनि सारी !
गिरी विकल गिरीराज दुलारी !!
कियो न भल स्वामी अब जाओ !
लाओ शीश जहां ते पाओ !!
चल्यो विषणू संग शिव विन्यानी !
मिल्यो न सो हस्तीहिं सिर आनी !!
धड उपर स्थित कर दिन्ह्ये !
प्राण वायू संचालन किन्ह्ये !!
श्री गणेश तब नाम धरायो !
विधा बुद्धी अमर वर पायो !!
भे प्रभू प्रथम पूज्य सुखदायक !
विध्न विनाशक बुध्दी विधायक !!
प्रथमहिं नाम लेत तव जोई !
जग कहं सकल काज सिध होई !!
सुमिरहीं तुमहिं मिलहिं सुख नाना!
बिनु तव कृपा न कहूँ कल्याना !!
तुम्हारहिं शाप भयो जग अंकित !
भादै चौथ चंद्र अकालंकित !!
जबहीं परीक्षा शिव तुहीं लिनहा !
प्रदक्षिणा पृथ्वी कही दिन्हा !!
षङमुख चल्यो मयूर उडाई !
बैठि रचे तुम सहज उपाई !!
राम नाम मही पर लिखी अंका !
कीन्हा प्रदक्षिण तजी मन शंका !!
श्री पितू मातु चरण धरी लीन्ह्ये !!
पृथ्वी परिक्रमा फल पायो !
अस लखी सुरन सुमन बारसयो !!
सुंदरदास राम के चेरा !
दुर्वासा आश्रम धरी डेरा !!
विरच्यो श्रीगणेश चालीसा!
 शिववपुराण वर्णित योगीशा !!
नित्य गजानन जो गुण गावत !
गृह बसी सुमती परम सुख पावत !!
जन धान्य सुवन सुखदायक !
देहिं सकल शुभ श्री गणनायक !!
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै धरी ध्यान !
नित नव मंगल मोद लहि, मीलै जगत सम्मान !!
दैव सहस्त्र दस विक्रमी, भाद्र कृष्ण तिथी गंग !
पूरन चालीसा भयो, सुंदर भक्ती अभंग !!



               SRV



















Sunday, May 3, 2020

संतांची बोली

                          पूर्ण संतांची ओळख 
   चारही वेद, भागवत गीता आदी पवित्र सदगंथां मध्ये असे प्रमाण मोळते, की जेव्हा जेव्हा धर्माची हानी होते व अधर्माची वृद्धी होते आणि वर्तमानातील खोटे संत, महंत आणि गुरूंव्दारे भक्तिमार्गाने स्वरूप बिघडवले गेले आहे, त्यावेळी परमेश्वर स्वतः येऊन किंवा आपल्या परमण्यांनी संतास पाठवून सत्याद्वारे धर्माची पुन्हा स्थपना करतात. ते शास्त्रांनुसार भक्तिमार्ग समजावून सांगतात. वर्तमानातील धर्मगुरु त्यांचा विरोध करून त्यांच्याविरूद्ध उभे राहून राजा व प्रजेला भ्रमित करून त्यांच्यावर अत्याचार करवितात, हीच त्यांची ओळख असते. 
                       

                           
       
      
                                 
भावार्थ 
                                                                                तत्वदर्शी संत तो असतो, जो वेदांतील सांकेतिक शब्द पूर्ण विस्ताराने वर्णन करतो ज्यामुळे पूर्ण परमात्म्याची प्राप्ती होते आणि त्यालाच वेद जाणणारा, असे संबोधले जाते.       

     अनुवाद  ------   ते पूर्ण संत तीन वेळेची साधाना सांगतात 
                     
                                                   SRV


                      
                                                                            
        

Saturday, May 2, 2020

वैक्सीन कोरोना वायरस

पुरी दुनिया वैक्सीन बना रहे है, पुरी दुनिया मे साबी देश लगे है. ईसमे ब्रिटन, जर्मनी, अमेरिकन, भारत मे  वैक्सीन बनाने के तरफ कदम बडये है. भारत वैक्सीन (टीका ) बनाने का  केंद्र बिंदू है. भारत मे 6 कंपनी वैक्सीन काम कर रहे है. वैक्सीन बनाने. मे 18 महिने लग सकते है. 
  चीन  भी वैक्सीन बना रहे है., और अपने फायदे के लिए बडे मुनाफा कामाने के लिये वैक्सीन सबसे पहिले बना रहा है, कींव की बडे किंमत से बेचना चाहता है. 
  वैक्सीन बनाने की किंमत 25 ते 30 अरब खर्चा लागते है. 

Friday, May 1, 2020

धार्मिक न्यान सृष्टिरचना

    सर्व प्रभुप्रेमी आत्म्यांना हे रचना सत्यन्यान पाहिल्यादा वाचताना असे वाटेल, की जणू काही ही दंतकथाच आहे :परंतु सर्वधर्मातील पवित्र सद्ग्रंथ मधील प्रमाणासहित पुरावे वाचनात येतील, तेव्हा तुम्हाला आश्चर्याचा धक्काच बसेल आणि म्हणाल, की हे वास्तव सत्य अमृतन्यन आजतागायत कोठे लपलेले होते? कृपया धैर्य व गांभीयार्ने हे वाचा आणि या अमृतन्यानाचे जतन करा. याचा आपल्या पुढील पिढ्यानं पिढयांना लाभ होईल. हे पवित्र आत्म्यांनो, कृपया सत्यनारायण ने रचलेल्या सृष्टिचे वास्तविक न्यान वाचा ---
  (1)पूर्ण ब्रह्रा :या सृष्टिरचनेतील सातपुरूष -सतलोकीचा स्वामी अलखपुरुष -अलखलोकीचा स्वामी आगमपुरुष -आगमलोकीचा स्वामी हे सर्व एकाच असून हेच पूर्ण  ब्राह्मआहेत, जे वास्तविक अविनाशी प्रभू आहेत. ते भिन्नभिन्न रूपे धरण करून आपल्या चारही लोकांमध्ये नित्य वास्तव्य करतात.
  (2)परब्रम्ह:हे केवळ सात संख ब्राह्रांडांचे स्वामी आहेत. यांना अक्षर ब्राह्म असेही संबोधले जाते, परंतु हे आणि त्यांची सात संख ब्राह्मडे वास्तविक अविनाशी नाहीत.
(3)ब्राह्म:हे केवळ 21ब्राह्मडे स्वामी आहेत. यांनी अक्षरपुरुष, ज्योतिनिरंजन, काल आदी उपमांद्वारे ओळखले जाते. यांनी 21ब्राह्मडे व ते स्वतः नाशावन आहेत.
(4)ब्राह्म: ब्राह्म हे वर उल्लेख आलेल्या ब्राह्मचा ज्येष्ष्ठ पुत्र असून, मधला पुत्र विष्णू व अंतिम पुत्र शंकर (शिव )आहेत. हे तिघेही ब्राह्मचे (काळ )पुत्र असून, प्रत्येक जण एकेक विभागाचे स्वामी आहेत. तसेच तेसुद्ध नाशावण आहेत. 

कोरोना वायरस (coviD-19)

                        1 मे 

   पुरे दुनिया भर मे कन्फर्म हो चुके मामले 3204705 कुल मैत्त्ये. 227847 ठीक हो  चुके लोगो की कुल संख्या. 227847

 कुल भारत मे 1मे 2020 कुल  संख्या 35000 से जादा 

महाराष्ट्र मे 7000से पार  होगया. 
 पुरा देश बंद हाय. 

Tata's COVID-19 test kit to detect Omicron variant gets IMCR nod: All you need to know about 'OmiSure'

The Indian Council of Medical Research on Wednesday announced that it has approved a kit designed to detect the Omicron variant of coronavir...